कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
देवो के देव देवाधिदेव महादेव ही एक मात्र ऐसे भगवान है, जिनकी भक्ति हर कोई करता है, चाहे वह इंसान हो, राक्षस हो, भूत-प्रेत हो अथवा देवता हो, यहां तक कि पषु-पक्षी, जलचर, नभचर, पाताललोक वासी हो अथवा बैकुण्ठवासी ।
महादेव वो है, जो नहीं है और जो नहीं है वो महादेव है, अर्थात महादेव सर्वव्यापी है, स्वयंभू हैं, जिसका न आदि है, न अंत महादेव कालोपरि है।
भगवान शिव (देवो के देव महादेव) के जन्म से संबंधित अब तक कोई भी ठोस प्रमाण नहीं मिला है। धार्मिक ग्रन्थों (शिव महापुराण और विष्णु पुराण) में अलग-अलग कथा मिलती है।
विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए, जबकि षिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए है।
एक बार एक संत ने इस सवाल को भगवान शिव से पूछा आपके पिता कौन हैं ? भगवान शिव ने उत्तर दिया कि उनके पिता भगवान ब्रह्मा हैं तब संत ने आगे पूछा आपका परदादा कौन हैं ? प्रभु भगवान शिव ने उत्तर दिया कि उनके परदादा भगवान विष्णु हैं। संत ने और भी पूछा अगर भगवान ब्रह्मा आपके पिता हैं और भगवान विष्णु आपके परदादा हैं, तो आपके परदादा के पिता कौन हैं ? भगवान शिव ने उसे हैरान कर दिया और कहा कि वही उनका परदादा के पिता है।
शिव महापुराण के अनुसार, एक बार की बात है, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच उनमें में वाद-विवाद हो गया कि उन दानो में से बडा कौन हैं। जब वाद-विवाद बहुत ज्यादा बड गया तब दोनो के मध्य अचानक एक बडा से अग्नी स्तंभ प्रकट हो गया। तब दोनो ने यह निष्च्य किया कि जो भी पहले इस स्ंतभ के अंत या आरंभ को पा लेगा वहीं श्रेष्ठ होगा।
भगवान विष्णु उस स्ंतभ के अंत को पाने के लिए नीचे की ओर गए और ब्रह्माजी उपर की तरफ गए। दोनो में से कोई भी इस स्ंतभ के अंत और आरंभ को पाने में सफल हो न सके। जिसके बाद भगवान विष्णु ने तो अपनी हार स्वीकार कर ली परंतु ब्रह्माजी ने असत्य कहा की उन्हें आरंभ मिल गया।
ब्रह्माजी के मुख से असत्य सुनकर उस स्तंभ में से शिवजी प्रगट हुए और उन्होनें ब्रह्माजी के पांच मुख में से जो मुख असत्य बोला था, उसे काट दिया।
इन तीनों देवताओं का जन्म खुद में एक बड़ी रहस्य है। कई पुराणों में माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु भगवान शिव से उत्पन्न हुए थे। लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई कड़ी सबूत नहीं है। मिथक के अनुसार भगवान शिव को जन्म, मौत और समय के परे का माना जाता एवं उन्हे देवो के देव माना जाता हैं।
भगवान शिव बिना आरंभिक प्रेरणा के स्वयंभूष् माने जाते हैं, जिसका अर्थ है कि वह मानव शरीर से जन्म नहीं लेते। वह उस समय मौजूद थे, जब कुछ भी नहीं था और वह सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद भी रहेंगे। इसीलिए उन्हें प्रेम से आदि.देवष कहा जाता है। जो हिंदू पौराणिक कथाओं के सबसे पुराने देवता हैं।
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