भारतीय संस्कृति में धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों का महत्व अत्यधिक है, सभी त्योहारों का अपना अलग ही महत्व, मान्यता एवं उनके परौणिक कथा है। इसी कथा/मान्यता में से एक हैं Durga Puja
Durga Puja कब और क्यो मनाया जाता हैं ?
Durga Puja सनातन धर्म का प्रमुख त्योहारो में से एक हैं। हमारे यहाँ Durga Puja साल में दो बार मनाया जाता है, जिसे हम एक चैत्र दुर्गा एवं दुसरा दशहरा/नवरात्री के नाम से जाना जाता है। दोनो ही Durga Puja का पौराणिक कथा है, जो मै आप लोगो को बताने जा रहा हँू।
Durga Puja 2024 Countdown
Counting down to the auspicious celebration:
How many days left for Durga Puja?
Durga Puja in 2024 begins on October 12th. Our countdown above shows the exact time remaining until the festivities commence.
Join millions in celebrating the triumph of good over evil and the power of Maa Durga!
चैत्र दुर्गा पुजा कब और क्यो मनाते है?
पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षस था, जो काफी शक्तिशाली था। उसने ब्रह्माजी कठोर तपस्या कि, जिससे ब्रह्माजी प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उससे मृत्यु को छोड कुछ भी एक वरदान मांगने को कहा, यह सुनकर महिषासुर काफी सोचने के बाद ब्रह्माजी से कहा हे भगवन मुझे एैसा वरदान दो कि मेरी मृत्यु किसी देवता, असुर और न ही मानव से हो बल्कि मेरी मृत्यु किसी स्त्री के हाथों से होने का वरदान दे।
यह सुनकर ब्रह्माजी एवमस्तु कहकर चले गये। वरदान मिलने के बाद उसने तीनों लोको पर अपना अधिकार जमा कर त्रिलोकाधिपति बन गया। यह देख सभी देवता भयभीत हो गए।
महिषासुर के प्रकोप से परेशान होकर सभी देवताओं ने मिलकर माँ आदिशक्ति जगदंबा का आह्वाहन /प्रर्थना किया, तब माता सभी देवताओ की प्रर्थना सुन मातारानी ने चैत्र नवरात्री के दिन अपने अंश से नौ (9) रूपों को प्रकट किया। इन 9 रूपों को देवताओं ने अपने-अपने शस्त्र देकर महिषासुर को वध करने का निवेदन किया।
शस्त्र धारण कर माता शक्ति संपत्र हो गई। कहते हैं कि नौ रूपों को प्रकट करने का क्रम चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर नवमी तक चला, इसलिए इन 9 दिनो को चैत्र नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। देवी दुर्गा ने जब अपने 9 रूप प्रकट कर महिषासुर पर आक्रमण कर दसवें दिन उसका वध कर दिया।
इस खुशी में दसवें दिन विजयादशमी मनाई जाती है।
दशहरा क्यो मनाया जाता है, उसकी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार इसका वर्णन त्रेता युग से मिलता है।
राम, अयोध्या नगर के राजकुमार, एक सदगुणी और धर्मपरायण युवक थे। उनकी पत्नी का नाम सीता था और उनके छोटे भाई का नाम लक्ष्मण था। राजा दशरथ, अयोध्या के राजा, राम के पिता थे।
राम, सीता, और लक्ष्मण की खुशियों ने अयोध्या को ब्लिस्सफुल और सुखद बना दिया था। लेकिन एक दिन, राजमहल में दुख-दरिद्रता के आलोचनाओं के बीच, राजा दशरथ को अपनी पत्नी कैकई के द्वारा दिए गए एक वर का पालन करना पड़ा। इस वर के अनुसार, राम को चौदह वर्ष के वनवास में जाना होता है।
वनवास के दौरान, राम, सीता, और लक्ष्मण वनों में आश्रम जीवन बिताते हैं, जहां उन्होंने अपने धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन को और भी मजबूत किया।
इसी दौरान, दुर्योधन नामक राक्षस राजा रावण के लिए एक दुखद संदेश आया कि सीता का अपहरण करना चाहिए। रावण के द्वारका ले जाने के बाद, सीता का अपहरण कर लिया गया, जिससे राम, सीता को वापस पाने के लिए उत्कृष्ट युद्ध के लिए तैयार हो गए।
राम, लक्ष्मण, और वानर सेना के साथ, रावण के किले लंका पहुँचे, जहां एक भयंकर युद्ध का संघटन हुआ।एक दिन एैसा आया जब राम चिंतित हो उठे, तब जामवन्त ने कारण पुछा तो राम ने कहा रावण आज अकेला नहीं लड रहा था उसके साथ स्वयं माँ शक्ति लड रही थी। यह सुनकर जामवन्त ने कहा तो फिर आप भी देवी शक्ति कि आराधना किजिए उनको प्रसन्न किजिए।
राम ने हनुमान को बुला कर कहाँ जाओ सरोवर से 108 नील कमल ले आओ, फिर राम ध्यान में बैठे एक दिन बिता पहला नवरात्र हुआ, दुसरा दिन बिता दुसरा नवरात्र हुआ, तीसरा दिन बिता तीसरा नवरात्र हुआ एैसे नौ दिन तक ध्यान करते करते जब आखरी नील कमल बच गया चढाने को तब देवी शक्ति ने सोचा कि राम को अपने लक्ष्य पर कितना ध्यान है इसकी परिक्षा ले लेती हू, तब माता ने आखरी नील कमल उठा लिया जब राम ने थाल में हाथ डाला तो खाली मिला तो उदास हो गये कि कही मेरा अराधना एक कमल कि वजह से अधुरा न रह जाए।
तब उन्हे याद आया कि बचपन में माँ कोसलया उन्हे राजीव नयन बुलाया करती थी, और मेरे पास दो अभी बाकी है। राम ने अपने तीरकष से एक तीर निकाला और अपने आँख कि ओर ले गय तब माँ शक्ति ने उनका हाथ रोक लिया एवं विजय होने का वरदान दिया। फिर राम ने दसवें दिन रावण का वध किया। इसी 9 दिन को नवरात्री कहा जाता है।
इस युद्ध में, राम ने अपने धर्म और सत्य के प्रति अपनी पूरी निष्ठा दिखाई और रावण को मार डाला। इससे रावण के अहंकार का नाश हुआ और धर्म की जीत हुई।
इस प्रकार, राम के धर्म और सत्य के प्रति निष्ठा ने उन्हें सीता को वापस पाने की प्राप्ति दिलाई और रावण के अधर्म को पराजित किया। दशहरा त्योहार हमें धर्म और सत्य के महत्व की याद दिलाता है और हमें बुराई के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है।
दुर्गा पूजा 2024 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: दुर्गा पूजा 2024 कब हैं?
उत्तर: दुर्गा पूजा 2024 12 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
प्रश्न 2: दुर्गा पूजा क्या है?
उत्तर: दुर्गा पूजा एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
प्रश्न 3: दुर्गा पूजा कहाँ मनाई जाती है?
उत्तर: दुर्गा पूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, त्रिपुरा और झारखंड में मनाई जाती है, लेकिन इसे पूरे भारत और विदेशों में भी मनाया जाता है।
प्रश्न 4: दुर्गा पूजा के दौरान कौन-कौन से अनुष्ठान होते हैं?
उत्तर: दुर्गा पूजा के दौरान कई अनुष्ठान होते हैं, जैसे घटस्थापना, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और विजयादशमी। इसके अलावा, देवी दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना और विसर्जन भी प्रमुख अनुष्ठान हैं।
प्रश्न 5: दुर्गा पूजा 2024 के लिए कोई विशेष कार्यक्रम हैं?
उत्तर: दुर्गा पूजा के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, जैसे नृत्य, संगीत, और नाटक आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा, पूजा पंडालों में थीम पर आधारित सजावट भी देखने योग्य होती है।
प्रश्न 6: दुर्गा पूजा का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: दुर्गा पूजा देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का उत्सव है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत और शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक है।
प्रश्न 7: दुर्गा पूजा में कैसे शामिल हो सकते हैं?
उत्तर: दुर्गा पूजा में शामिल होने के लिए आप अपने स्थानीय पूजा पंडाल में जा सकते हैं, वहां की गतिविधियों में भाग ले सकते हैं और देवी दुर्गा की आराधना कर सकते हैं।
यदि आपके पास दुर्गा पूजा 2024 से संबंधित और प्रश्न हैं, तो कृपया हमें कमेंट में बताएं। हम आपके सभी सवालों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। शुभ दुर्गा पूजा!
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।