Maa Mundeshwari Temple Story in Hindi

By Sanatan

Published on:

Maa Mundeshwari Temple

भारत में विभिन्न संस्कृतियों का समवेश होने के साथ-साथ आस्था का भी बहुत बड़ा केंद्र है। इसलिए, यही कारण है कि यहां हिन्दू देवी-देवताओं के कई छोटे, विशाल और एतिहासिक मंदिर स्थित हैं। लेकिन भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका इतिहास लगभग हजारों साल से भी अधिक पुराना है।

आज मैं आपको बिहार में मौजूद प्राचीन मुंडेश्वरी मंदिर के बारे में बताने जा रहा हैं। जिसका इतिहास काफी पुराना है और काफी रोचक भी है, आइए जानते हैं।

बिहार के कैमुर जिले में स्थित यह मंदिर पंवरा पहाड़ी के शिखर पर स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 608 फीट है, यहां का नजारा काफी खूबसूरत है। इस मंदिर के आसपास पुरातत्वविदों ने कई बार खुदाई भी की है। मंदिर में भगवान शिव के पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है।
मुंडेश्वरी मंदिर बिहार के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है, जो पूरे भारत में अपनी विशाल वास्तुकला और प्राचीन इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।

मन्दिर का इतिहास

बिहार के कैमूर जिले में स्थित है। इस मंदिर को बिहार के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि यह लगभग 1900 साल पुराना है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी मूर्ति है।

इस मंदिर का संबंध मार्केणडेय पुराण से जुड़ा है। मंदिर में चंड-मुंड के वध से जुड़ी कुछ कथाएं भी मिलती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार चंड-मुंड, शुंभ-निशुंभ के सेनापति थे। चंड-मुंड नाम के असुर का वध करने के लिए देवी यहां आई थीं तो चंड के विनाश के बाद मुंड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी में छिप गया था। यहीं पर माता ने मुंड का वध किया था। इसलिए यह माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हैं।

मंदिर की विशेषता:-

मंदिर में माता को दी जाती हैं रक्त हीन बलि
images 31.jpeg

मुंडेश्वरी मंदिर की विशेषता यह है कि यहां बकरे की बलि दी जाती है, लेकिन बलि को मारा नहीं जाता है, रक्त नहीं बहता है। यहां बलि की सात्विक परंपरा है

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है रक्त विहीन बलि। मनोकामना पूर्ण होने के बाद कोई श्रद्धालु चढ़ावे में खस्सी (बकरा) चड़ाते है। पुजारी द्वारा बकरे को मां मुंडेश्वरी के चरण में रखा जाता है। मां के चरण में अक्षत (चावल) का स्पर्श करा पुजारी उस अक्षत को बकरे पर फेंकता है। अक्षत फेंकते ही बकरा अचेतावस्था में मां के चरण में गिर जाता है। कहते हैं कि कुछ क्षण के बाद पुनरू पुजारी द्वारा अक्षत को मां के चरण से स्पर्श करा बकरे पर फेंका जाता है और अक्षत फेंकते ही तुरंत बकरा अपनी मूल अवस्था में आ जाता है। इसरक्त विहीन बलि को देख कर उपस्थित श्रद्धालु सिर्फ मां का जयकारा ही लगाते हैं।

शिवलिंग का बदलता है रंग
images 32.jpeg

मां मुंडेश्वरी के मंदिर में गर्भगृह के अंदर पंचमुखी शिवलिंग है। मान्यता है कि इसका रंग सुबह, दोपहर व शाम को अलग-अलग दिखाई देता है। कब शिवलिंग का रंग बदल जाता है, पता भी नहीं चलता। प्रत्येक सोमवार को बड़ी संख्या में भक्तों द्वारा शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। यहां मंदिर के पुजारी द्वारा भगवान भोलेनाथ के पंचमुखी शिवलिंग का सुबह शृंगार करके रुद्राभिषेक किया जाता है।

मुंडेश्वरी मंदिर के दर्शन आप वैसे तो कभी भी कर सकते हैं। लेकिन दर्शन करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और मार्च के बीच है क्योंकि इस दौरान मौसम बहुत अच्छा होता हैं।

अगर आप भी दर्शन के लिए जाना चाहते हैं, तो इस वीडियो को जरूर देखे।

Mystery of Maa Mundeshwari.

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

Leave a Comment