Kshama Prarthana हिन्दी अनुवाद के साथ.
ॐ अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि ।।
हे परमेश्वरि परम भगवती रात और दिन मेरे द्वारा सहस्त्र अपराध हुआ करते है ।
मेरा यह दास है ( में आपका दस हुँ ) ऐसा समझकर तुम मुझ पर कृपा करके मेरे अपराधों को क्षमा करो ।
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।
पूजां चौव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि ।।
ना में आवाहन करना जानता हुँ, ना में विसर्जन करना जनता हुँ
ना पूजा करना जानता हुँ, हे परमेश्वरि मेरे अपराधों को क्षमा करो ।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि ।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु में ।।
हे सुरेश्वरि मैंने जो मंत्रहीन ( ना में मंत्र को जानता हुँ ), क्रियाहीन ( ना में क्रियाओ को जानता हुँ )
भक्तिहीन ( ना में भक्ति के प्रकार को जानता हुँ ), पूजन किया है वो सब आपकी कृपा और दया से पूर्ण हो।
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् ।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः ।।
सौ प्रकार के अपराध करने के बाद भी भक्तगण, आपकी शरण में आकर सिर्फ जगदम्बा
बोलकर भी गति को प्राप्त करते है, उसे ब्रह्मा आदि देवगण भी प्राप्त करने में असमर्थ है ।
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरू।।
जगदम्बिके मैं अपराधी हूँ , किंतु तुम्हारी शरणमें आया हूँ ।
इस समय दयाका पात्र हूँ । तुम जैसा चाहो , वैसा करो।।
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि।।
देवि ! परमेश्वरी ! अज्ञान से , भूल से अथवा बुद्धि भ्रान्त होने के कारण मैंने जो न्यूनता या अधिकता कर दी हो , वह सब क्षमा करो और प्रसन्न होओ।।
कामेश्वंरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि।।
सच्चिदानन्दस्वरूपा परमेश्वरि ! जगन्माता कामेश्वरि ! तुम प्रेमपूर्वक मेरी यह पूजा स्वीकार करो और मुझपर प्रसन्न रहो।।
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गुहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि।।
देवि ! सुरेश्वरि ! तुम गोपनीय से भी गोपनीय वस्तु की रक्षा करनेवाली हो । मेरे निवेदन किये हुए इस जपको ग्रहण करो । तुम्हारी कृपा से मुझे सिद्धि प्राप्त हो।।
।। श्री दुर्गार्पणं अस्तु ।।
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