Pitru Paksha / पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय होता है जब हम अपने पूर्वजों और पितरों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष कर्म करते हैं। यह समय हर साल भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है। इसे श्राद्ध पक्ष या महालय पक्ष भी कहा जाता है। जो कि इस साल 17 सितम्बर शुरू होकर 2 अक्टुबर तक मनाया जाएगा।
Pitru Paksha पितृ पक्ष का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपनी संतानों से श्राद्ध कर्म और तर्पण की आशा रखते हैं। यह वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों के लिए आभार व्यक्त करते हैं और उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए प्रार्थना करते हैं। माना जाता है कि इस दौरान किए गए कर्म और पूजा से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद हमें जीवन में सुख-समृद्धि देता है।
महाभारत के कर्ण से जुडी कथा:-
महाभारत के वीर योद्धा कर्ण से जुड़ी एक कथा श्राद्ध के महत्व को समझाती है। कहानी के अनुसार, जब कर्ण की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंची, तो वहां उन्हें भोजन के बजाय सोने और आभूषण दिए गए। यह देखकर कर्ण को हैरानी हुई और उन्होंने देवराज इंद्र से पूछा कि उन्हें सोने की चीजें क्यों दी जा रही हैं, जबकि उन्हें तो भोजन चाहिए था।
देवराज इंद्र ने उत्तर दिया कि आपने अपने जीवन में केवल सोने और आभूषणों का दान किया था, लेकिन कभी भी अपने पितरों (पूर्वजों) को भोजन का दान नहीं दिया। इस कारण, उन्हें स्वर्ग में भी सोना ही खाने को दिया जा रहा है। कर्ण ने तब अपनी गलती स्वीकार की और कहा कि उन्हें अपने पूर्वजों के बारे में पता नहीं था, इसलिए वह उन्हें भोजन अर्पित नहीं कर पाए।
कर्ण की इस गलती को सुधारने के लिए इंद्र ने उन्हें 16 दिनों के लिए पृथ्वी पर वापस भेज दिया। उन 16 दिनों के दौरान कर्ण ने अपने पूर्वजों को भोजन अर्पित किया और उनका श्राद्ध किया। तभी से इन 16 दिनों को पितृ पक्ष के रूप में मनाया जाने लगा, जिसमें लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उन्हें भोजन और तर्पण अर्पित करते हैं।
श्राद्ध कर्म क्या है?
श्राद्ध का अर्थ होता है श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों के प्रति आस्था और सम्मान व्यक्त करना। श्राद्ध कर्म में तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराना शामिल होता है। तर्पण के दौरान जल अर्पित किया जाता है और पिंडदान के रूप में विशेष भोजन या अन्न के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं।
पितृ पक्ष में क्या किया जाता है?
- तर्पण- पितरों की आत्मा की शांति के लिए जल अर्पित किया जाता है।
- पिंडदान- विशेष पिंड बनाकर पितरों को समर्पित किए जाते हैं।
- ब्राह्मण भोजन – ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है, जिसमें उनके लिए विशेष रूप से बना हुआ भोजन होता है।
- दान और धर्म – पितरों की स्मृति में दान दिया जाता है, जिसमें अन्न, वस्त्र, धन और अन्य आवश्यक वस्त्र शामिल होते हैं।
पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए?
- शुभ कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश या कोई नया काम शुरू करना पितृ पक्ष के दौरान नहीं किया जाता।
- धार्मिक या व्यक्तिगत उपभोग के लिए मांस-मदिरा का सेवन नहीं किया जाता है।
पितृ पक्ष क्यों मनाया जाता है?
हिंदू धर्म के अनुसार, पितरों का आशीर्वाद बहुत महत्वपूर्ण होता है। पितृ पक्ष के दौरान हम अपने पूर्वजों को याद कर उन्हें सम्मानित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस समय में किए गए श्राद्ध कर्म और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे हमें आशीर्वाद देते हैं। साथ ही, यह हमारे कर्तव्यों में शामिल होता है कि हम अपने पूर्वजों के लिए आभार व्यक्त करें और उनके प्रति श्रद्धा दिखाएं।
निष्कर्ष:-
पितृ पक्ष वह समय है जब हम अपने पूर्वजों को याद कर, उनके प्रति आस्था और श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इस समय किए गए कर्म हमें न केवल पितरों का आशीर्वाद दिलाते हैं, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति भी प्रदान करते हैं। पितृ पक्ष हमें यह सिखाता है कि अपने पूर्वजों का सम्मान करना, हमारी संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है।
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